व्यापार मॉडल और संरचनाbrajs.com का
बिज़नेस मॉडल पारदर्शिता और संतुलित शुल्क पर आधारित है। इसका कमीशन ढाँचा सामान्य बाज़ार प्रथा से अलग रखते हुए ग्राहकों के हित में बनाया गया है:
- खरीदार से 5% कमीशन: जब कोई ग्राहक brajs.com की सहायता से संपत्ति खरीदता है, तो अंतिम बिक्री मूल्य का 5% बतौर सेवा शुल्क (ब्रोक्रेज) एजेंसी द्वारा लिया जाता है।
- विक्रेता से 0% शुल्क: विपरीत रूप से, यदि कोई व्यक्ति अपनी प्रॉपर्टी brajs.com के माध्यम से बेचता है तो उससे कोई कमीशन या शुल्क नहीं लिया जाता। विक्रेता के लिए सेवा निःशुल्क है।
यह मॉडल खरीदारों पर नाममात्र का शुल्क रखता है, जबकि विक्रेता निश्चिंत होकर अपनी संपत्ति लिस्ट करा सकते हैं। इस नीति का लाभ यह है कि अधिक से अधिक
प्रॉपर्टी विक्रेता brajs.com के साथ जुड़कर अपनी संपत्ति की लिस्टिंग कराते हैं क्योंकि उन्हें जेब से कुछ नहीं देना। दूसरी तरफ,
खरीदारों को भी उचित दर पर प्रोफेशनल सेवा मिल जाती है और भरोसा रहता है कि संपत्ति वैध और परखी हुई है।
लेकिन
ब्रोकर/एजेंट की ज़रूरत आख़िर क्यों है? ब्रज क्षेत्र या भारत में सम्पत्ति के लेनदेन सहज नहीं हैं। कई जोखिम और जटिलताएँ जुड़ी हैं:
- कानूनी जोखिम: भारत में ज़मीन-जायदाद के कागज़ात जटिल होते हैं। ख़रीदने वाले को यह भरोसा होना चाहिए कि बेचने वाला असली मालिक है, जमीन पर कोई विवाद या बंधक (मोर्गेज) तो नहीं है, ज़मीन का ज़ोनिंग (उपयोग श्रेणी) क्या है, आदि। आम ग्राहक इन पहलुओं की जाँच स्वयं नहीं कर सकता।
- धोखाधड़ी की संभावना: भूमि घोटाले भारत में एक वास्तविक समस्या हैं। कई बार जालसाज़ फ़र्ज़ी मालिक बनकर या नकली दस्तावेज़ों के आधार पर भोले खरीदारों को ठगने की कोशिश करते हैं। खासकर जो लोग बाहरी हैं या NRI हैं, वे लोकल प्रक्रिया से परिचित न होने के कारण निशाना बन सकते हैं। भारतीय रियल एस्टेट बाजार में शीर्षक जालसाजी (title fraud), नकली कागज़ात (forgery), ग़ैर-अनुमोदित प्रोजेक्ट की बिक्री जैसे छल प्रचलित रहे हैं । एक अनुभवी ब्रोकर इन ख़तरों को शुरुआत में ही पहचानकर सौदा सुरक्षित करता है।
- मानकीकरण का अभाव: पश्चिमी देशों की तरह भारत में अभी तक कोई केंद्रीकृत MLS (मल्टीपल लिस्टिंग सिस्टम) या सुसंगत मानक नहीं है जहां हर प्रॉपर्टी का सही डेटा मिल जाए। अक्सर जानकारी बिखरी होती है – भिन्न-अलग दलालों, अख़बारों, वेबसाइटों पर टुकड़ों में। ऐसे में तुलना करके उचित दाम लगाना या सभी विकल्प देख पाना कठिन है। Brajs.com जैसे प्लेटफ़ॉर्म इस कमी को पूरा करते हैं, एक ही जगह सत्यापित लिस्टिंग उपलब्ध कराके।
- समय और संपर्कों की आवश्यकता: स्थानीय प्रॉपर्टी बाज़ार में सही डील ढूँढने के लिए वक़्त, श्रम और लोकल संपर्क चाहिए। बाहरी व्यक्ति के लिए यह सब जुटाना मुश्किल है। एक ब्रोकरेज फर्म अपने नेटवर्क और ज्ञान के जरिए यह काम तेज़ी से कर सकती है।
इन वजहों से, एक
कुशल ब्रोकर सौदे को सहज, निष्कलंक और संतोषजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। Brajs.com इन मानकों को ध्यान में रखकर ही अपना संचालन करती है।
विशेष रूप से Brajs.com ने
संपत्ति की जानकारी एकत्र करने के लिए कुछ मानक (स्टैण्डर्ड्स) तय किए हैं, जिससे हर लिस्टिंग में पूर्ण और प्रामाणिक विवरण रहे। जब कोई नया प्रॉपर्टी लिस्ट होती है, एजेंसी निम्न विवरण सुनिश्चित करती है:
- सटीक स्थान (लोकल एड्रेस + Google पिन): ताकि ग्राहक भौगोलिक स्थिति स्पष्ट समझ सकें।
- संपत्ति का प्रकार: कृषि भूमि, आवासीय प्लॉट, फ्लैट, विला, कमर्शियल शॉप आदि श्रेणी स्पष्ट लिखी जाती है।
- भूमि एवं निर्माण क्षेत्रफल: कुल जमीन की (वर्गगज/बीघा में) और निर्माण/निर्मित क्षेत्र (वर्गफुट/वर्गमीटर में) को मापा व बताया जाता है।
- मूल्य: विक्रेता द्वारा मांगी गई कीमत (और कभी-कभी संभावित नेगोशिएबल रेंज) बताई जाती है, ताकि पारदर्शिता रहे।
- मालिक का नाम: वर्तमान स्वामी का नाम (या डेवलपर/बिल्डर का नाम) दर्ज किया जाता है।
- दस्तावेज़ स्थिति: टाइटल डीड (गहनपात्र), रजिस्ट्री, खतौनी-खसरा, NAM (नॉन अग्रीकल्चर कन्वर्ज़न) आदि कानूनी काग़ज़ात की उपलब्धता और उनकी स्थिति (दुरुस्त है या प्रक्रियाधीन) नोट की जाती है।
- चित्र सामग्री: हर संपत्ति के 5 से 15 स्पष्ट फ़ोटो (ज़मीन का परिसर, सड़क से दृश्य, घर के कमरों/बाहरी हिस्सों के) लिये जाते हैं।
- संपर्क: प्रॉपर्टी ओनर या उसके प्रतिनिधि का फ़ोन नंबर/ईमेल ताकि सत्यापन या बातचीत सीधे संभव हो।
इन मानकों के चलते Brajs.com की प्रत्येक लिस्टिंग एक तरह से
जानकारी का भरोसेमंद स्रोत बन गई है। ग्राहक दूर बैठे भी प्लॉट या मकान की स्थिति, लोकेशन, काग़ज़ात आदि का अंदाज़ा लगा सकते हैं। साथ ही एजेंसी के प्रतिनिधि व्यक्तिगत रूप से साइट का निरीक्षण करके और मालिक से मिलकर सत्यापन करते हैं, जिससे गलत जानकारी की संभावना न्यून हो जाती है।